कोविड -19 महामारी ने सभी तरीकों को बदल दिया है जो कि अनमोल है। कोरोना ने दुनिया को कई लोगों को अपने विशेषाधिकारों से अवगत कराया है। लोगों को दर्पण दिखाया है कि एक समाज के रूप में मानवीय पीड़ाओं पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं। कोरोना ने कई लोगों को  अपनों से मिलाया है और अपनों के बीच रहने का वक्त दिया है। इसी तरह से महामारी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बच्चों को प्रभावित किया है।

मीडिया से बात करते हुए एक डॉक्टर ने बताया कि वायरस की इस रहस्यमय ख़ासियत को डिकोड करते समय, जो हमारा ध्यान भटक गया है, वह दीर्घकालिक नुकसान है और कोविड-19 का व्यापक प्रभाव बच्चों में होने की संभावना है। अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से, टूटी हुई चिकित्सा आपूर्ति, पौष्टिक भोजन तक बाधित और परिवारों में आय में कमी, स्कूल और शिक्षा तक पहुंच में कमी, सामाजिक स्तर पर सुरक्षा का जाल होना है। आर्थिक और सामाजिक प्रणालियों पर महामारी का दीर्घकालिक प्रभाव अदृश्य बना हुआ है।


इस बारे में वैज्ञानिक की बखूबी जानते हैं कि कोरोना से दुनिया को किस तरह का नुकसान हुआ है। और इससे लोगों की आम जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है।  लेकिन विशेषज्ञों ने चिंताजनक सावधानी बरतनी शुरू कर दी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में बताया गया है कि असम राज्य के पांच साल से कम आयु के बच्चों के एक तिहाई (36 प्रतिशत) से अधिक उम्र के हैं और एक तिहाई (30 प्रतिशत) बर्बाद हो गया है।