कांग्रेस (Congress) ने रविवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma) और उनके परिवार पर ऐसी 18 एकड़ जमीन ‘‘हड़पने'' का आरोप लगाया जो भूमिहीनों के लिए थी। कांग्रेस ने सरमा को तत्काल पद से हटाने के साथ ही उच्चतम न्यायालय (Supreme court) की निगरानी में एक विशेष जांच दल से जांच कराने की भी मांग की। कांग्रेस नेताओं जितेंद्र सिंह (Jitendra singh), गौरव गोगोई (Gaurav gogoi) और गौरव वल्लभ (Gaurav Vallabh) ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि सरमा ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार में एक शक्तिशाली मंत्री रहते हुए 2006 से 2009 के बीच ऐसी सरकारी जमीन अवैध रूप से आरबीएस रियल्टर्स के पक्ष में हस्तांतरित करने के लिए अपने सरकारी पद का दुरुपयोग किया जो भूमिहीन लोगों के लिए थी। कांग्रेस नेताओं के साथ पार्टी सांसद रिपुन बोरा (ripun bora) और अब्दुल खालिक (Abdul khalik) भी थे, जिन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ऐसी जमीन हड़पने में भू-माफिया की सहायता कर रहे हैं जो भूमिहीनों के लिए है। उन्होंने कहा कि वे इस मामले को संसद के साथ-साथ सड़कों पर भी उठाएंगे। इन आरोपों पर न तो सरमा या उनके परिवार ने और न ही भाजपा ने कोई टिप्पणी की।

वल्लभ और सिंह ने आरोप लगाया कि असम के मुख्यमंत्री एक तरफ गरीब और वंचित परिवारों को इस आधार पर बेदखल करके ज्यादती कर रहे हैं कि किसी को भी सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करने का अधिकार नहीं है, लेकिन खुद करोड़ों रुपये की ऐसी जमीन परिवार के सदस्यों को सौंप दी हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र जांचों के अनुसार, सरमा की पत्नी रिंकी भुइयां सरमा द्वारा सह-स्थापित रियल एस्टेट कंपनी आरबीएस रियल्टर्स ने कथित तौर पर ऐसी लगभग 18 एकड़ सरकारी भूमि पर कब्जा किया है जो भूमिहीन व्यक्तियों और संस्थानों के लिए थी। वल्लभ ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम मांग करते हैं कि सरमा को तत्काल उनके पद से हटाया जाना चाहिए जो अपने परिवार के साथ भूमिहीन लोगों के लिए निर्धारित जमीन हड़पने में शामिल हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘एक ऐसे मौजूदा मुख्यमंत्री को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है जिसका परिवार सीधे तौर पर जमीन हथियाने में शामिल है। उसे तुरंत पद से हटा दिया जाना चाहिए।'' उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे ‘‘भू माफिया मुख्यमंत्री'' को पद से हटाएंगे।

कांग्रेस नेता ने कहा कि ‘‘ईसी/आई-टी/सीबीआई/एसएफआईओ से अपेक्षा है कि वे ऐसे सभी मित्रों की जांच करें जिन्हें उस पद पर संवैधानिक और नैतिक रूप से रहने का कोई अधिकार नहीं है जिस पर वे हैं।'' असम के लिए कांग्रेस के प्रभारी जितेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस को उम्मीद है कि मोदी कथित भूमि सौदों की एक स्वतंत्र जांच कराएंगे और इसे रद्द कराएंगे जिन्होंने कहा है कि वह किसी को भी भ्रष्ट आचरण में लिप्त नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री उच्चतम न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश की निगरानी में एसआईटी से जांच कराएं।'' सिंह ने आरोप लगाया कि सभी ने देखा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर (आईटी) विभाग जैसी जांच एजेंसियों ने भाजपा के राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करके पार्टी के पदाधिकारियों की तरह काम किया है और उन्हें अब उन लोगों के खिलाफ भी जांच करनी चाहिए जो भ्रष्ट हैं। सत्तारूढ़ दल पर कटाक्ष करते हुए, गोगोई ने सवाल किया, ‘‘भाजपा के पास ऐसी कौन सी वाशिंग मशीन है जिससे भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने वाले अन्य दलों के नेता पार्टी में शामिल होने के बाद पाक-साफ हो जाते हैं?''

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा में शामिल होने से पहले सरमा लुई बर्जर और शारदा घोटालों में भ्रष्टाचार जांचों का सामना कर रहे थे, लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद वे "पाक-साफ" हो गए। गोगोई ने कहा कि मोदी सरकार से कांग्रेस की मांग है- मामले की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश की निगरानी में तत्काल एक एसआईटी का गठन किया जाए और एसआईटी को समयबद्ध तरीके से अपनी जांच पूरी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ईडी, सीबीआई, आईटी, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) और अन्य सभी जांच एजेंसियों को शिकायत दर्ज करने और असम राज्य में इस तरह के सभी गैरकानूनी भूमि हस्तांतरण की जांच शुरू करने के लिए कहा जाना चाहिए। पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया कि आरबीएस रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड ने दो चरणों में, पहले 2006-2007 में और फिर 2009 में 18 एकड़ में से अधिकांश जमीन का अधिग्रहण किया।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे व्यक्ति जो भूमिहीन और जरूरतमंद हैं, उन्हें असम सरकार द्वारा सीलिंग अधिशेष भूमि दी जाती है और उस जमीन को 10 साल की अवधि के लिए बेचने पर रोक लगायी जाती है, लेकिन 2009 में बोंगोरा में कुल 11 बीघा तीन कट्ठा और चार लेसा (3,01,674 वर्ग फुट या 6.92 एकड़) सीलिंग अधिशेष भूमि असम सरकार द्वारा कथित तौर पर जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए आवंटित की गई थी, जिसे कंपनी ने 10 साल की लॉक-इन अवधि का उल्लंघन करते हुए खरीदा था।'' कांग्रेस ने मांग की कि उपरोक्त कंपनी को सभी अवैध भूमि हस्तांतरण तुरंत रद्द कर दिये जाने चाहिए और उन भूमिहीन एवं जरूरतमंदों को वैकल्पिक भूमि प्रदान करने के प्रावधान किए जाने चाहिए जिनकी जमीन बेईमानी से ले ली गई थी।