/fit-in/640x480/dnn-upload/images/2021/11/08/2-1636349141.jpg)
छठ पर्व पर बांस की दउरी व सुपली का विशेष महत्व है। इस महापर्व की पूजा में पूजन सामग्री इसी में रख कर महिलाएं कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जात..गीत गाते हुए घाट तक जाती हैं।
दउरी के ऊपर रखी सुपली में फल व दीया रहता है। इस बांस ही दउरी व सुपली बनाने में कारीगर एक माह पहले से लग जाते हैं। इसके लिए बांस असम से मंगाया जाता है।
शहर से सटे बहादुरपुर, हैबतपुर, उमरगंज, हनुमानगंज, चित्तू पांडेय चौराहा आदि चट्टियों पर कारीगर इसे बनाने में जुटे हैं। बांसफोर राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि यह बांस अन्य की तुलना में काफी मोटा व लंबा होता है।
जिले में बांसडीह कस्बे के व्यापारी असम (Assam) बांस मंगाते हैं। इस समय एक बांस की कीमत दो सौ रुपये हो गई है। हैबतपुर निवासी अनंत बासफोर ने बताया कि पुस्तैनी काम होने के कारण करना पड़ता है। मेहनत की अपेक्षा आमदनी नहीं हो पाती है।
फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |