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भारतिय नागरिक संशोधन (CAA) का विरोध धीरे धीरे तेज होता जा रहा है। दूसरी ओर केंद्र सरकार CAA को 2021 में लागू करने का ऐलान कर चुकी है। इसी कड़ी में हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है कि जिसमें दक्षिण असम के कछार जिले का एक 104 वर्षीय व्यक्ति, जो दो साल से अधिक समय से अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए संघर्ष कर रहा था। संघर्ष करते करते उनकी मृत्यु हो गई है। चंद्रधर दास, जिन्हें बांग्लादेश से विदेशी घोषित किए जाने के बाद 2018 में हिरासत में लिया गया था।
हाल ही में इनकी कछार जिले के अमृघाट स्थित उनके निवास स्थान पर निधन हो गया है। दास की बेटी नियाती ने कहा कि वह लंबे समय से ठीक नहीं रख रहे थे और महीनों से ठीक से खाना नहीं खा रहे थे। उन्होंने कहा कि उनका निधन हो गया। शताब्दी में उनकी केवल एक इच्छा थी- वे एक भारतीय नागरिक के रूप में मरना चाहते थें। दास को जनवरी 2018 में सिलचर में एक विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किया गया था और बाद में सिलचर सेंट्रल जेल में भेज दिया गया था।
दास के वकील सुमन चौधरी ने कहा कि दास के ट्रिब्यूनल के सामने पेश नहीं होने के बाद यह एक पूर्व-पक्षीय आदेश था। दास के अस्वस्थ होने, धोखाधड़ी करने और जेल जाने के दौरान वह मुश्किल से चल पाए। जैसे-जैसे उनकी स्वास्थ्य की हालत बिगड़ने लगी, उन्हें मानवीय आधार पर तीन महीने के बाद जमानत दे दी गई। चौधरी ने कहा कि दास को जमानत पर रिहा कर दिया गया था। वकील चौधरी ने कहा कि दास की नागरिकता का दावा 1966 में त्रिपुरा के अगरतला में जारी एक शरणार्थी पंजीकरण प्रमाण पत्र पर दिया गया था, जिसमें कहा गया है कि वह तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में कोमिला में पैदा हुए थे।
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