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साल 2021 असम के लिए बेहद अहम साबित होने वाला है क्योंकि इस साल अप्रेल मई में चुनाव होने हैं। बीजेपी ने अपनी गठबंधन पार्टियों के साथ यहां 100 से ज्यादा सीटें हासिल करने का लक्ष्य बनाया है। ऐसे में बीजेपी पूरे जोश के साथ चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है। हाल ही में पार्टी ने अपने 5 साल पुराने गठबंधन नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस असेंबली का पुनर्गठन किया है।
असोम गाना पार्टी (AGP) अभी भी इसमें बीजेपी की बेस्ट फ्रेंड बनी हुई है। 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 60 सीटें जीतकर अपने सहयोगियों के साथ पहली बार राज्य में सरकार बनाई थी। विधानसभा में फिलहाल बीजेपी 60 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। उसे असम गण परिषद (AGP) के 14 विधायकों, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के 12 विधायकों और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन प्राप्त है।
सोमवार को बीजेपी की गठबंधन पार्टी गना शक्ति पार्टी (GSP) का बीजेपी में ही विलय हो गया। दरअसल विधायक भुवन पेगू सोमवार को बीजेपी में शामिल हो गए जिसके बाद उनकी पार्टी GSP का बीजेपी में विलय हो गया। इसी के साथ पुनर्गठन का काम भी पूरा हो गया है। इससे पहले बीजेपी की एक और गठबंधन पार्टी तिवा ऐक्या मंच भी बीजेपी में विलय कर चुकी है।
असम के मंत्री हेमंत बिस्व सरमा पहले ही साफ कर चुके हैं कि बीजेपी का बीपीएफ के साथ गठबंधन जारी रहेगा। दरअसल इससे पहले बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद चुनाव में बीपीएफ को किनारे करते हुए बीजेपी ने UPPL और गना शक्ति पार्टी के साथ नई दोस्ती की थी। हालांकि इसके सरमा ने कहा कि हम काफी बार ये कह चुके हैं कि बीपीएफ के साथ हमारा गठबंधन 5 साल पुराना है और दोनों पार्टियां इस गठबंध को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
इससे पहले एक रैली में सरमा ने कहा था कि कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियों और नई बनी क्षेत्रीय पार्टियों का एकमात्र लक्ष्य है- असम में ‘बाबर का शासन’ लाना। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की मौजूदगी में एक रैली को संबोधित करते हुए हेमंत सरमा ने विपक्ष से सवाल किया है कि अगर वे सरकार बनाते हैं तो क्या हिंदुओं को उनके धर्म को मानने की अनुमति होगी। हिमन्ता एनडीए की क्षेत्रीय शाखा नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस के कन्वेनर भी हैं।
सरमा ने रैली में कहा, “अजमल (AIUDF प्रमुख बदरुद्दीन अजमल), कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों का एकमात्र लक्ष्य है कि कैसे असम में बाबर के शासन को लाया जाय। लेकिन जब तक बीजेपी के हनुमान यहां हैं, हम राम के आदर्शों पर आगे बढ़ते जाएंगे।” असम में इसी सास अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं।
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