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असम के नए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा उग्रवादी संगठनों से हिंसा से दूर रहने और मुख्यधारा में शामिल होने की अपील करने के कुछ दिनों बाद प्रतिबंधित यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (उल्फा-आई) ने शनिवार को तत्काल प्रभाव से तीन महीने के लिए एकतरफा संघर्षविराम की घोषणा की। स्वयंभू कमांडर-इन-चीफ परेश बरुआ के नेतृत्व में उल्फा-आई ने एक बयान में कहा कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए संगठन ने 15 मई से तीन महीने के लिए असम में सभी तरह के सैन्य अभियानों को एकतरफा निलंबित कर दिया है।
असमिया भाषा में दिए गए बयान में यह भी आरोप लगाया गया कि सुरक्षा बलों ने उल्फा-आई को बदनाम करने के लिए एक गुप्त योजना बनाई थी। 2006 के बाद, यह दूसरी बार है जब वार्ता विरोधी प्रतिबंधित संगठन ने राज्य में एकतरफा संघर्षविराम की घोषणा की है। उल्फा-आई की घोषणा असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा उल्फा-आई सुप्रीमो बरुआ और अन्य चरमपंथी संगठनों से शांति वार्ता के लिए आगे आने की अपील के पांच दिन बाद हुई है।
असम के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद सरमा ने सोमवार को परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उल्फा-आई और अन्य उग्रवादी समूहों से हिंसा का रास्ता छोडकऱ मुख्यधारा में शामिल होने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था, बातचीत से सभी समस्याओं के हल होने की उम्मीद है। हत्या और अपहरण ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। सरमा ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार ओएनजीसी के इंजीनियर रितुल सैकिया को प्रतिबंधित उल्फा-आई की कैद से छुड़ाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। सरमा, जिनके पास गृह विभाग भी है, ने गुरुवार को माजुली की अपनी यात्रा के दौरान सैकिया की पत्नी और छोटे भाई से मुलाकात की।
उग्रवादी संगठन ने 21 अप्रैल को राज्य के स्वामित्व वाले तेल और प्राकृतिक गैस निगम के तीन इंजीनियरों को पूर्वी असम के शिवसागर जिले के लकवा में एक ड्रिलिंग साइट से अपहरण कर लिया था।सेना ने असम राइफल्स के जवानों के साथ 23 अप्रैल की रात उग्रवादियों के साथ भीषण मुठभेड़ के बाद दो बंधकों को कैद से छुड़ाया, लेकिन सैकिया (तीसरा इंजीनियर) अभी भी लापता है।
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