गुवाहाटी। असम के सीमा क्षेत्र विकास मंत्री अतुल बोरा (Assam Border Area Development Minister Atul Bora) ने मंगलवार को कहा कि राज्य के कामरूप (ग्रामीण) जिले में मेघालय (Meghalaya) के साथ लगते विवादित सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोगों पर सीमा विवाद को हल करते समय पड़ोसी राज्य को चुनने का ‘दबाव’ बनाए जाने की खबरें हैं।

उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि किस स्रोत के जरिए दबाव डाला जा रहा है। हालांकि, विपक्षी दल कांग्रेस की स्थानीय बोको विधायक नंदिता दास ने दावा किया कि स्थानीय निवासियों को सीमावर्ती राज्य को चुनने के लिए प्रेरित करने में मेघालय पुलिस की भी भूमिका है।

विधानसभा में शून्यकाल के दौरान दास के एक प्रश्न के जवाब में बोरा ने कहा, ‘हमारे पास कुछ खबरें हैं कि पुलिस प्रशासन (सीमावर्ती इलाकों में) लोगों को मेघालय को चुनने के लिए प्रेरित कर रहा हैं। हम इन इलाकों में हो रही घटनाओं पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और हमारी रिपोर्ट इस पर आधारित होगी।’

बोरा और दास (boro and Das) असम सरकार (assam government) द्वारा कामरूप (ग्रामीण) जिले के मेघालय की सीमा से लगते इलाकों में विवादों की जांच करने के लिए बनायी एक समिति के सदस्य हैं। समिति ने कुछ महीने पहले इनमें से कुछ इलाकों का दौरा किया था।

असम और मेघालय ने इस साल अगस्त में मुख्यमंत्री स्तरीय बैठक में विवादों के 12 केंद्रों की पहचान की थी। इनमें से छह केंद्र असम में बोको विधानसभा क्षेत्र के तहत आते हैं।

बोरा ने कहा कि किसी राज्य को चुनने की निवासियों की इच्छा या वरीयता विवादों के समाधान का एकमात्र मापदंड नहीं है, बल्कि जातीयता भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है जिस पर विचार किया जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि असम के पास बोको विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के तहत इन इलाकों का प्रशासनिक नियंत्रण है और हालांकि, इनमें से ज्यादातर गारो समुदाय बहुल इलाके हैं और कई ऐसे गांव असम के साथ बने रहने का विकल्प चुन सकते हैं।

इससे पहले मामले को उठाते हुए नंदिता दास ने आरोप लगाया कि मेघालय के बदमाश असम के लोगों को पड़ोसी राज्य को चुनने के लिए धमका रहे हैं। दास ने भी दावा किया कि असम के लोगों को संयुक्त निरीक्षण दल द्वारा आयोजित बैठक में शामिल नहीं होने दिया गया।