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असम विधानसभा चुनाव से पहले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खेमे में नेताओं के बीच झगड़ा चल रहा है। भाजपा ने वैसे तो अच्छी तरह से चुनाव प्रबंधन टीम का दावा किया है लेकिन बराक घाटी में अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है। भाजपा पार्टी के कई पुराने गार्डों ने उम्मीदवारों के चयन पर नाराजगी जाहिर की है। यदि उत्तर प्रदेश दिल्ली की कुंजी रखता है, तो बराक घाटी को भी असम विधानसभा चुनावों के दौरान समान दर्जा प्राप्त है।
बता दें कि कोई भी पार्टी बराक घाटी को हल्के में नहीं ले सकती। सिल्चर सीट के लिए बीजेपी के शीर्ष अधिकारियों ने दीपनारायण चक्रवर्ती को चुना है, जिन्हें कई लोग लोकसभा सांसद डॉ. राजदीप रॉय के निकट विश्वासपात्रों में से एक के रूप में जानते हैं। सिलचर के विधायक दिलीप पॉल और राजदीप रॉय के बीच शीत युद्ध चल रहा है। सिंडिकेट राज के बारे में बहुत कुछ कहा गया है कि भाजपा के विरोधियों ने अपने स्थानीय नेतृत्व के संरक्षण के तहत बराक घाटी में फल-फूल रहे हैं।
भाजपा अध्यक्ष कौशिक राय को लखीपुर से अपनी किस्मत आजमाने का मौका दिया गया है एक निर्वाचन क्षेत्र है जिसका प्रतिनिधित्व कांग्रेस के अध्यक्ष राजदीप गोला ने किया था। पार्टी के दिग्गज कविंद्र पुरकायस्थ ने आखिरकार राजदीप रॉय के खिलाफ उनके बेटे प्रसाद को टिकट देने से इंकार करते हुए अपनी चुप्पी तोड़ दी है। चुनाव से ठीक पहले गोयला लखीपुर से टिकट पाने की उम्मीद के साथ बीजेपी में शामिल हुए लेकिन पार्टी ने उन्हें अनदेखा कर कौशिक राय को नामित कर दिया। यही कारण है कि भाजपा के खेमे में कलेश चल रहा है।
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