विधानसभा में सारुखेत्री निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले असम कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जाकिर हुसैन सिकदर को निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन के कारण अपनी सीट गंवानी पड़ सकती है। 

सिकदर ने कहा, 2007 के परिसीमन के मसौदे के अनुसार, मेरे सारूखेत्री निर्वाचन क्षेत्र का 50 प्रतिशत क्षेत्र चेंगा एलएसी और शेष 50 प्रतिशत क्षेत्र बारपेटा सीट को दिया गया है।

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मुझे उम्मीद है कि 2007 का मसौदा इस बार लागू नहीं होगा। मुझे लगता है कि नई परिसीमन समिति नए सिरे से सर्वे कर रिपोर्ट को अंतिम रूप देगी। देखते हैं क्या होता है। भारत के चुनाव आयोग ने आरपी अधिनियम 1950 की धारा 8ए के अनुसार असम में संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन शुरू कर दिया है।

आयोग ने एक बयान में कहा कि 2001 की जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल राज्य में संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्समायोजन के उद्देश्य से किया जाएगा। बयान में यह भी कहा गया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण भारत के संविधान के अनुच्छेद 330 और 332 के अनुसार प्रदान किया जाएगा।

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सरुखेत्री विधायक हुसैन ने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया 2007 में शुरू हुई थी लेकिन बीजेपी, एजीपी और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के कड़े विरोध के कारण इसे रोक दिया गया था। 

उन्होंने मांग की कि एनआरसी के पूरी तरह अपडेट होने तक परिसीमन की प्रक्रिया नहीं हो सकती है। 

कांग्रेस नेता ने कहा, असम में एनआरसी अपडेशन प्रक्रिया अभी पूरी होनी बाकी है।  फिर ईसीआई ने प्रक्रिया शुरू करने की पहल क्यों की है?

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2001 की जनगणना के अनुसार परिसीमन कराने के चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाते हुए सिकदर ने कहा, 2001 के बाद 2011 में जनगणना हुई थी। फिर ईसीआई 2011 की जनगणना के आंकड़ों का उपयोग क्यों नहीं कर रहा है?

2025-26 में देश भर में सामान्य परिसीमन होगा हम दो साल और इंतजार क्यों नहीं कर सकते? ईसीआई को इस पर फिर से विचार करना चाहिए।