असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि वह आम नागरिकों पर पुलिस की गोलीबारी को उचित नहीं मानते और ऐसी कार्रवाई का सहारा केवल आतंकवादियों और अपराधियों के खिलाफ ही लिया जाना चाहिए। शर्मा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि असम-मेघालय सीमा के एक विवादित क्षेत्र के मुकरोह गांव में असम पुलिस और राज्य के वन रक्षकों द्वारा की गई गोलीबारी मामले का हालांकि, दोनों राज्यों के बीच ‘संबंधों के व्यापक परिदृश्य’ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। करीब सप्ताह भर पहले हुई इस घटना में छह लोगों की जान चली गई थी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों पूर्वोत्तर राज्यों के बीच बातचीत चल रही है और कोई भी सीमा समायोजन उनके द्वारा इस उद्देश्य के लिए गठित समिति के माध्यम से होगा। कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद उन्होंने कहा, नागरिकों की जान लेना स्वीकार्य नहीं है। पुलिस को अपने हथियारों का इस्तेमाल आतंकवादियों और अपराधियों के खिलाफ करना चाहिए न कि नागरिकों के खिलाफ। मैं गोलीबारी की अनुमति नहीं देता। इस बात पर जोर देते हुए कि राज्य पुलिस को मुकरोह में नागरिकों पर गोली नहीं चलानी चाहिए थी। शर्मा ने कहा कि कथित अवैध लकड़ी से लदे ट्रकों की आवाजाही को रोकने के लिए अन्य तरीके भी हो सकते थे। असम पुलिस और वन रक्षकों द्वारा 22 नवंबर को मुकरोह में कथित अवैध लकड़ी से लदे एक ट्रक को रोकने के बाद गोलीबारी की घटना हुई थी। इस घटना में मेघालय के पांच नागरिकों और असम के एक वन सुरक्षाकर्मी की मौत हुई थी। 

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शर्मा ने घटना का जिक्र करते हुए कहा कि राज्यों के बीच एक संवैधानिक सीमा होती है। उन्होंने कहा, नक्शे उपलब्ध हैं और मुझे यकीन है कि मेघालय सरकार, असम के भीतर कुछ भी असंवैधानिक नहीं करेगी, अगर यह असम क्षेत्र में पुलिस चौकी स्थापित करने जैसा कुछ करती है तो इसकी कोई कानूनी वैधता नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने कहा, हमने चर्चा की है। विवाद का समाधान होने तक यथास्थिति बनाए रखी जाएगी। वहीं मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने शिलांग में कहा कि मुकरोह हिंसा के बाद सीमा विवाद के समाधान के लिए दोनों राज्यों के बीच दूसरे दौर की बातचीत की प्रक्रिया थोड़ी जटिल हो गई है।