बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने राज्य सरकारों से अनुरोध किया है कि वे उन बाल सुधार गृहों की जांच कराएं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठनों से धन लेते हैं। एनसीपीसीआर ने यह अपेक्षा कानूनी मामलों के एक संगठन की शिकायत पर की है। यह शिकायत तुर्की के अल कायदा से रिश्ता रखने वाले संगठन से धन मिलने के संबंध में है।

लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी (एलआरओ) ने अपनी शिकायत में कहा है कि असम और मणिपुर के छह बाल सुधार संस्थान दान स्वरूप मिली धनराशि का दुरुपयोग कर रहे हैं। बाल कल्याण के लिए मिले धन का इस्तेमाल निर्धारित कार्यो के लिए नहीं कर रहे हैं।

एनसीपीसीआर की प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने बताया कि ये सुधार गृह विदेशों से धन प्राप्त करते हैं लेकिन उसका दुरुपयोग करते हैं। यह जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का उल्लंघन है। शिकायत में सुधार गृह में रह रहे बच्चों को दैहिक दंड दिए जाने की बात कही गई है। इसके बाद एनसीपीसीआर की दो सदस्यीय टीम ने राज्य बाल अधिकार आयोग की टीमों के साथ असम और मणिपुर का दौरा किया। 

इन सुधार गृहों को तुर्की के गैर सरकारी संगठन आइएचएच से धन मिला था। तुर्की के इस संगठन के आतंकी संगठन अल कायदा से रिश्ते पाए गए हैं। तुर्की की एजेंसियां उसकी जांच कर रही हैं। अब भारत में भी इस सिलसिले में जांच शुरू हो चुकी है।

एनसीपीसीआर ने सभी राज्य सरकारों से अनुरोध किया है कि वे विदेशी धन को प्राप्त करने वालों का पता लगाएं और देखें कि उन्हें कौन भेज रहा है। चंदा देने का उद्देश्य क्या है। जांच उच्च स्तरीय एजेंसी से कराने की सिफारिश की गई है।