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सरकार अपने वादें के मुताबिक असम में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू कर रही है। असम CAA का सालों से विरोध कर रहा है। कई स्थानिय संगठनों CAA का पूरजोर विरोध कर रहे हैं। इसी कड़ी में असम जातीय परिषद (AJP) ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर अपना विरोध फिर दोहराया है। AJP ने कहा है कि "CAA को लागू करने से असम समझौते की धारा 5 और 6 का उल्लंघन होगा "।
AJP ने बताया कि "असम समझौते का खंड 5 25 मार्च, 1971 के बाद अवैध रूप से असम में प्रवेश करने वाले विदेशियों का पता लगाने, हटाने और निर्वासन से संबंधित है, खंड 6 सांस्कृतिक, सामाजिक की सुरक्षा, भाषाई पहचान और असमिया लोगों की विरासत संरक्षण, संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक उपायों का आह्वान करता है "।
एजेपी के एक नेता ने कहा “नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) के अपडेशन में 1600 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी, NRC में कई खामियां हैं। असम एनआरसी प्रक्रिया में पूरी सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया गया था लेकिन एक सही एनआरसी प्रकाशित नहीं हो सका। बीजेपी सरकार ने असम में सीएए को हिंदू बांग्लादेशियों को नागरिकता देने के लिए जबरदस्ती लाया गया ”।
एजेपी ने सीएए को खत्म करने की मांग को लेकर असम के डिब्रूगढ़ में चौकीडिंगी खेल के मैदान के पास एक "जातीय गोरजोन" प्रदर्शन रैली का आयोजन किया है। एजेपी ने असम समझौते के पांचवें और छठे खंड को लागू करने की भी मांग की है। एजेपी ने आरोप लगाया कि सीएए असम समझौते का उल्लंघन करता है, क्योंकि यह बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत आए हिंदुओं, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना चाहता है।
इस बीच, 7 सितंबर को, असम सरकार ने घोषणा की थी कि वह आठ सदस्यीय समिति का गठन करेगी, जो असम समझौते के कार्यान्वयन के लिए रोडमैप तैयार करेगी। 8 सदस्यीय समिति में कैबिनेट मंत्री और AASU के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि “गोए और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के प्रतिनिधियों की एक उप-समिति, असम समझौते के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर आगे के विचार-विमर्श के लिए तीन महीने के भीतर कार्यान्वयन की रूपरेखा तैयार करेगी, जिसमें विशेष संदर्भ के साथ 6, 7, 9 और 10 धाराएँ होंगी ।"
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