गुवाहाटी । ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ ) प्रमुख बदरुद्दीन अजमल के गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) अजमल फाउंडेशन पर कथित रूप से विभिन्न विदेशी संगठनों से धन प्राप्त करने का आरोप है, इसके अलावा आतंकवादी समूहों के साथ लिंक है। चौंकाने वाला यह रहस्योद्घाटन लीगल राइट ऑबजरवेटरी (एलआरओ) द्वारा किया गया था, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध एक कानूनी अधिकार से जुड़ा संगठन है।

एलआरओ ने अजमल फाउंडेशन पर इस विदेशी पूंजी का उपयोग करके विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन का आरोप लगाया है। इस खुलासे के बाद, राज्य के वित्त एवं स्वास्थ्य मंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने तुरंत मामले की जांच के लिए केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की।

उन्होंने कहा, अब तक असम के लोग जानते थे कि अजमल फाउंडेशन अजमल के स्वयं के पैसे से चेरिंटी का काम कर रहा है। लेकिन खुलासों से पता चला है कि आतंकी गतिविधियों से जुड़े संगठन अजमल फाउंडेशन को फंडिंग कर रहे थे। उन्होंने कहा इस बारे में अजमल फाउंडेशन खुद बताए कि आखिर सालाना 70 करोड़ की राशि कहां से आ रही है और उसका उपयोग कहां हो रहा है अन्यथा केंद्र सरकार निश्चित रूप से इस पर ध्यान देगी।

एलआरओ ने उन एनजीओ के नाम भी सूचीबद्ध किए जो अजमल फाउंडेशन को फंडिंग कर रहे हैं। उनमें से एक यूके स्थित अल इमदाद फाउंडेशन है, जो कथित तौर पर फिलिस्तीनी प्रतिरोध फैलाने वाले आतंकवादी समूह हमास से सीधे जुड़ा हुआ था, जिसे इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन में कई आत्मघाती बम विस्फोटों के लिए जाना जाता है। सूची में एक और समूह उम्माह वेलफेयर ट्रस्ट यूके शामिल है, जिस पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण का

आरोप है।

इसी तरह, अजमल फाउंडेशन का एक और दाता तुर्की स्थित इन्सानी यदीम वक्‍फी (फाउंडेशन फॉर ह्यूमन राइट्स एंड फ्रीडम एन ह्यूमैनिटेरियन रिलीफ) है, जिसे अल-कायदा आतंकी समूह के साथ सीधे संबंध रखने के लिए दुनिया भर की कई सरकारी एजेंसियों ने खुलासा किया है। एक अन्य दाता मुस्लिम एंड यूके है, जो कश्मीरी आतंकवादी समूह हिजबुल मुजाहिदीन के साथ सीधे संपर्क के लिए जाना जता है।

एलआरओ ने यह भी दावा किया कि अजमल फाउंडेशन को 69.55 करोड़ रु. शिक्षा के नाम पर मिले, जिसमें से मात्र 2.5 करोड़ रुपए खर्च किए गए एलआरओ के दावों से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए, अजमल ने कहा, अगर कोई आतंकी लिंक और विसंगतियां थीं और अगर उसने एफसीआरए दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया होता, तो मुझे यकीन है कि केंद्र सरकार पहले ही कार्रवाई की होती। अगर सरकार कोई आपत्ति उठाती है, तो मैं उन्हें जवाब दूंगा। उन्होंने कहा कि यह सब आरएसएस का षड्यंत्र है।

दूसरी तरफ राज्य के कृषि मंत्री और अगप प्रमुख अतुल बोरा ने अजमल  फाउंडेशन पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि आतंकी संगठनों से पैसा लेना देशद्रोही का काम है। वहीं भाजपा विधायक शिलादित्य ने अजमल फाउंडेशन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इस कथित एनजीओ की भूमिका की विस्तार से जांच करने की जरूरत है।