कानपुर के चकेरी थाना क्षेत्र के जाजमऊ कैलाश विहार में चल रहे फर्जी जन सुविधा केंद्र से असम के तमाम लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से आधार कार्ड बनवाए हैं। ये आधार कार्ड पिछले साल असम में एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस) लागू होने के बाद बने हैं। बुधवार रात को सेंटर से पकड़े गए आरोपी और फरार मुख्य आरोपी के ई-मेल से इससे संबंधित दस्तावेज पुलिस के हाथ लगे हैं।

आशंका है कि आधार कार्ड बनवाने वाले असम के ये लोग बांग्लादेशी घुसपैठिये और रोहिंग्या हैं। एसपी पूर्वी राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि पकड़े गए आरोपी शैलेंद्र साहू से पूछताछ और मोबाइल व लैपटॉप को खंगालने पर अहम जानकारियां हाथ लगी हैं। तमाम दस्तावेज असम के मिले हैं। एसपी का कहना है कि जब असम में एनआरसी लागू हुआ तो वहां रहने वाले बांग्लादेशियों, रोहिंग्याओं व अन्य देशों के लोगों को जेल जाने का खतरा सताने लगा।

इन्हीं में से कुछ लोगों ने गिरोह के सरगना सुनील पाल से संपर्क किया। ये लोग ई-मेल पर जानकारी भेज देते थे। केवल थंब इंप्रेशन देने आते थे। सुनील व शैलेंद्र फर्जी दस्तावेज तैयार कर इनके आधार कार्ड बना देते थे। कुछ नाम भी पुलिस वालों को मिले हैं। इसके आधार पर पुलिस ने जांच आगे बढ़ा दी है। शैलेंद्र साहू को जेल भेज दिया गया है, जबकि सुनील पाल अभी फरार है। यह दोनों पैरों से दिव्यांग है।

एसपी ने बताया कि सुनील के ई-मेल से महत्वपूर्ण डाटा मिला है। जिन लोगों के आधार कार्ड व अन्य फर्जी दस्तावेज बनाए हैं, उनमें से कुछ के नाम, पता व मोबाइल नंबर मिले हैं। पुलिस ये मोबाइल नंबर अहम मान रही है। क्योंकि आधार बनाते समय वैलिड मोबाइल नंबर होना जरूरी होता है। इसी पर ओटीपी जाता है। पुलिस का मानना है कि जिन लोगों ने आधार कार्ड बनवाए हैं, वे मोबाइल नंबर वही इस्तेमाल कर रहे जो रजिस्टर है। इसलिए सर्विलांस टीम को लगाया गया है। 

एसपी ने बताया कि शुरुआत में इन लोगों ने तीन सौ से पांच सौ रुपये में आधार कार्ड बनाए। शैलेंद्र के मुताबिक जब सख्ती बढ़ी तो उन लोगों ने फीस बढ़ाकर पांच हजार कर दी। शैलेंद्र को सुनील चार-पांच सौ रुपये ही देता था। इसलिए पुलिस को और शंका है कि इतने ज्यादा रुपये देकर आम आदमी आधार कार्ड नहीं बनवाएगा, जिसकी मंशा कुछ गलत करने की है, वही इतने रुपये खर्च करेगा।