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असम की राजनीति में बड़ा नाम रहे पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का पिछले हफ्ते लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। गोगोई के रूप में कांग्रेस ने न सिर्फ असम में अपना अभिभावक खोया है, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ हो रहे गठबंधन को भी भारी झटका लगा है।
असम में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस तरुण गोगोई के जरिए बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन तैयार कर रही थी। गोगोई के जाने के बाद कांग्रेस और एआईयूडीएफ के संभावित गठबंधन की उम्मीद भी खत्म होती दिख रही है, क्योंकि अब गठबंधन की पहल करने वाला कोई नहीं है।
'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, तरुण गोगोई ने असम में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन की बात तो कही थी, लेकिन उनकी पार्टी के ही नेताओं समेत आलाकमान तक इसके लिए खुलकर कुछ नहीं बोल रहे थे। गोगोई तथाकथित सेक्युलर ताकतों को एक साथ रखकर बीजेपी के खिलाफ लड़ने की नीति बना चुके थे, लेकिन अब उनके निधन के साथ ही इस गठबंधन का प्लान ठंडे बस्ते में जा चुका है।
पार्टी के नेताओं का मानना था कि एआईयूडीएफ एक मुस्लिम केंद्रीय पार्टी है। ऐसे में अगर कांग्रेस एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन करती है तो उसे घाटा होगा। पार्टी का अपना हिन्दू वोट बैंक पूरी तरह से खफा हो जाएगा। ऐसी स्थिति में मुस्लिम वोटों के चक्कर में कांग्रेस और अधिक गर्त में चली जाएगी। हालांकि, गोगोई के निधन के बाद गठबंधन की बात भी फिलहाल दब गई है।
असम में पूर्व सीएम की मौत के बाद कांग्रेस को फिर से संभलने में समय लग सकता है। कहा जा रहा है कि तरुण गोगोई के बेटे और लोकसभा सांसद गौरव गोगोई अब लाइमलाइट में आ सकते हैं। अब, कांग्रेस अभियान चलाकर लोगों को यह याद दिलाने का प्रयास कर सकती है कि पिछले पांच वर्षों में बीजेपी क्या करने में विफल रही और गोगोई के नेतृत्व में पार्टी ने क्या किया।
बता दें कि तरुण गोगोई 2001 में असम के मुख्यमंत्री बने थे। तब से लगातार तीन बार वह राज्य के मुख्यमंत्री रहे। तरुण गोगोई राज्य में 5,487 दिन तक मुख्यमंत्री रहे जो राज्य में अब तक का रिकॉर्ड है।
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