दुलियाजान । अखिल असम छात्र संघ (आसू) के 17वें अधिवेशन में कल रात आयोजित प्रतिनिधि सभा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। इसके अनुसार अब उप्रदराज नेता आसू की केंद्रीय टीम का हिस्सा नहीं बन सकेंगे। लंबी बहस के बाद लिए गए निर्णय के अनुसार 40 साल से अधिक उम्र वाले युवा आसू में नहीं रह सकते। 

42 वर्ष की उम्र में आसू से अवकाश लेना पड़ेगा। अगर किसी आसू नेता की शादी हो जाती है तो उसकी सदस्यता स्वत: रद्द हो जाएगी। आसू की केंद्रीय समिति  का सदस्य या पदाधिकारी बनने के लिए न्यूनतम स्नातक की योग्यता जरूरी है। केंद्रीय समिति का कार्यकाल अब से तीन वर्ष का होगा। इससे पहले यह कार्यकाल एक वर्ष था।

उसी तरह संगठन का केंद्रीय अधिवेशन हर तीन साल के भीतर आयोजित करना होगा। तीन साल और तीन महीने पार हो जाने के बाद कार्यकारी समिति स्वत: भंग हो जाएगी।

नई कमिटी चुने जाने तक समिति के उपाध्यक्ष, संयुक्त सचिव और सलाहकार के हाथ में चली जाएगी। ये लोग ही अधिवेशन बुलाएंगे। हर जिला समिति को भी तीन साल की अवधि में अपना अधिवेशन आयोजित करना पड़ेगा।

युवा पीढ़ी को नेतृत्व का मौका मिल सके, इसे देखते हुए उम्र की सीमा तय की गई है। आस की केंद्रीय समिति में एक सलाहकार के साथ एक मुख्य सलाहकार भी होगा। दुलियाजान अधिवेशन में लिए गए सभी फैसले वर्ष 2023 के अधिवेशन से लागू होंगे।

इसके अलावा आसू के मुख्य सलाहकार डॉ. समुज्वल भद्ठाचार्य ने यह कहते हुए अपना पद छोड़ दिया कि वे राजनीति में प्रवेश करने की इच्छा नहीं रखते हैं। वहीं वर्तमान अध्यक्ष दीपांकर कुमार नाथ और महासचिव लुर्नि ज्योति गोगोई ने भी आसू छोड़ने की घोषणा की। मालूम हो कि दोनों ही नवगठित राजनीतिक दल असम जातीय परिषद (एजेपी) के माध्यम से सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने की तैयारी कर रहे हैं। 

उधर आज मीडिया से बातचीत करते हुए डॉ. भट्टाचार्य ने कहा कि आसू उनकी मां है। प्रतिनिधि सभा में मौजूद आसू नेताओं ने उनसे आस में रहने का अग्रह किया है। 'मैं अपनी अंतरात्मा की आवाज सुन कर आसू से पूरी तरह नाता तोड़ने का फैसला करूंगा।  इससे उनके आसू छोड़ने या न छोड़ने पर संशय बना हुआ है।