असम में लोग सत्ताधारी सर्बानंद सोनोवाल सरकार के नाराज है। डिब्रूगढ़ जिले का एक गाँव जोकई बोन कोइबोर्टा गाँव अब 70 साल पुराना हो गया है। लेकिन इतने साल पूरे  हो जाने के बाद भी यहाँ के ग्रामीणों को मयादी भूमि पटटे नहीं मिले हैं। यहां के लोगों का कहना है  सरकार ने हमें मयादी भूमि पट्टों से वंचित रखा है। ग्रामीणों ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को मयादी भूमि के आवंटन के लिए एक ज्ञापन सौंपा है। गांव वालों का कहना है कि घोरिया, 10 घोरिया, 26 घोरिया और 27 घोरिया हमारी आजीविका के लिए है।

70 साल से हम पहले हम इस गांव में रह रहे हैं लेकिन हम अभी भी मैयाडी पटटे से वंचित हैं। दास असम के स्वदेशी लोग हैं, लेकिन हमारे पास कोई मियादी पट्टा नहीं है। स्थानिय निवासी दास ने कहा पहले हम 72 परिवार थे, लेकिन अब 200 से अधिक परिवार इस गाँव में बिना मयादी पटटे के रह रहे हैं। हम सरकार से अपील करते हैं कि वह हमें मयादी भूमि पटों के साथ आवंटित करें क्योंकि हम कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। जोकी गाँव में रहने वाले ज्यादातर लोग कृषि और मछली पकड़ने से जुड़े हुए हैं।

दास ने सरकार से कहा कि हम बैंक ऋण के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं, क्योंकि हमारी जमीन मयादी पट्टा भूमि नहीं है। इस कारण से हम सरकारी योजनाओं से वंचित हैं। हमें सरकार से कुछ मदद मिलती है क्योंकि हम किसान हैं लेकिन अन्य योजनाओं से वंचित हैं। असम सरकार ने हाल ही में राज्य के 55,661 स्वदेशी लोगों को भूमि पट्टिका प्रदान किया है। इसी तरह से मार्च तक कुल 45,141 भूमि पटटे प्रदान किए गए है।