जिले से पहली बार बुधवार को किसान रेल से 220 टन आलू असम के लिए भेजा गया। 22 बोगी वाली किसान रेल में 20 सवारी बोगी और दो पार्सल कोच हैं। असम के बिहारा रेलवे स्टेशन पर तीन दिन में पहुंच जाएगी। ट्रेन से आलू के भाड़े में किसानों को 50 फीसद की छूट भी मिलेगी। सड़क मार्ग से कम भाड़े और वक्त पर आलू वहां की मंडियों में पहुंचने से अालू की लागत घटेगी। वहीं, गुणवत्ता प्रभावित नहीं होने से किसानों को फायदा होगा। मंदी से परेशान किसानों के लिए इस पहल ने अब असम की आलू मंडियों के लिए रास्ता आसान कर दिया है। अभी नौ और ट्रेनों की भी बुकिंग कराई जा चुकी है।  

बुधवार को फर्रुखाबाद रेलवे स्टेशन के माल गोदाम ट्रैक पर आई ट्रेन में 20 जीएस (सामान्य द्वितीय श्रेणी यात्री कोच) और दो एसएलआर (पार्सल कोच) हैं। प्रत्येक कोच में 10 टन (195 पैकेट) आलू लोड किया गया। ओवरलोडिंग पर किराये के साथ छह गुना तक जुर्माने से बचने को किसानों ने क्षमता से थोड़ा कम ही माल लादा है। बुधवार को फर्रुखाबाद से चली ट्रेन बीच में बिना रुके सीधे असम के बिहारा रेलवे स्टेशन पर तीसरे दिन यानी शनिवार को पहुंचेगी। वहां से असम की स्थानीय मंडियों में आलू बिक्री के लिए भेजा जाएगा। राजेपुर क्षेत्र के भरखा निवासी किसान रामलखन ङ्क्षसह की अगुआई में 17 किसानों ने मिलकर 15 सितंबर को किसान रेल की मांग की थी। पूर्वोत्तर रेलवे से पहली किसान रेल को तीन दिन पहले ही स्वीकृति मिली।  

15 पार्सल कोच वाली किसान रेल को बुक कराने के लिए कम से कम 15 किसानों को संगठित होकर अपना पूरा ब्योरा नाम, पता मोबाइल नंबर, आधार कार्ड और खतौनी के साथ लोडिंग की तारीख संग आवेदन रेलवे स्टेशन अधीक्षक को देना होता है। यहां से आवेदन इज्जतनगर मुख्यालय और फिर रेल मंत्रालय जाता है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद किसानों को एक लाख रुपये इंडेंट (जमानत) राशि जमा करनी होती है। इसके बाद उपलब्धता के आधार पर ट्रेन आती है। बिल्टी बनने के बाद किसानों को भाड़ा जमा करना होगा। 

किसान रेल में 15 वीपीयू (पार्सल कोच) होते हैं। एक पार्सल कोच में 23 टन माल लादा जा सकता है। इस तरह एक ट्रेन में 345 टन आलू लोड होता है। वहीं, जब रेलवे के पास पार्सल कोच वाली ट्रेन उपलब्ध नहीं होती है तो सामान्य श्रेणी द्वितीय क्लास की सवारी ट्रेन भेजी जाती है। हालांकि, उसके एक कोच में 10 टन माल ही लोड किया जा सकता है।