असम कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रिपुन बोरा (Ripun Bora) उच्च सदन से निलंबित किए जाने वाले 12 विपक्षी सांसदों में शामिल हैं। रिपुन बोरा और 11 अन्य राज्यसभा सांसदों को कृषि कानून निरस्त विधेयक पारित (farm laws repeal bill) करने के दौरान "हंगामा" करने के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था।

अपने निलंबन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रिपुन बोरा (Ripun Bora) ने कहा कि “हां, हमने पिछले सत्र में विरोध किया था। हमने किसानों, गरीब लोगों के लिए विरोध किया था और सांसदों के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम उत्पीड़ित, वंचितों की आवाज उठाएं। अगर हम संसद में उनकी आवाज नहीं उठाएंगे तो कहां करेंगे ”।

असम कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा (Ripun Bora) ने कहा कि “ कृषि कानूनों को निरस्त (farm laws repeal bill) करने के विधेयक पर चर्चा की अनुमति नहीं देने का निर्णय अलोकतांत्रिक और पक्षपातपूर्ण है। यह अलोकतांत्रिक है; लोकतंत्र और संविधान की हत्या। यह एकतरफा, पक्षपातपूर्ण और प्रतिशोधात्मक निर्णय है। विपक्षी दलों से सलाह नहीं ली गई, ”।


इस बीच, राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे (MP Mallikarjun Kharge) के कार्यालय में विपक्षी दलों ने 12 राज्यसभा सांसदों के निलंबन को लेकर बैठक बुलाई है। राज्यसभा ने अपने शीतकालीन सत्र के पहले दिन शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी (MP Priyanka Chaturvedi) और TMC सांसद डोला सेन (Dola Sen) सहित अपने 12 सदस्यों को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया।
प्रियंका चतुर्वेदी और डोना सेन के अलावा, CPM MP  एलाराम करीम, कांग्रेस सांसद फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह, सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम, टीएमसी सांसद शांता छेत्री और शिवसेना सांसद अनिल देसाई।

बता दें कि विपक्षी दलों के नेताओं ने एकजुट होकर 12 सांसदों के "अनुचित और अलोकतांत्रिक" निलंबन की निंदा की है।