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अमरीका ने अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग बताया है। इस बीच अमरीका ने चीन को चेतावनी देते अरुणाचल में मैकमोहन लाइन को अंतरराष्ट्रीय सीमा माना है। इस संबंध में अमरीकी सीनेट में एक प्रस्ताव भी पेश किया गया है। इस प्रस्ताव में चीन के यथास्थिति बदलने के प्रयास की निंदा भी है। सीनेटर हैगर्टी ने भारत के साथ कंधे से कंधे मिलाकर खड़े होने की बात कही है।
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बता दें कि अमेरिकी संसद का यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है, जब एलएसी के पूर्वी सेक्टर में चीन के सैनिकों और भारत के सैनिकों के बीच हिंसक झड़पें हो चुकी हैं। अमरीकी सांसदों ने चीन के नक्शे में भारत के अरुणाचल को अपना बताने की आलोचना भी है। प्रस्ताव में कहा गया है कि अमेरिका, अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग मानता है ना कि चीन का। प्रस्ताव पेश करने वाले दूसरे सीनेटर जेफ मर्कले ने कहा कि यह प्रस्ताव साफ करता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को भारत गणराज्य के हिस्से के रूप में देखता है, न कि चीन के जनवादी गणराज्य के रूप में। साथ ही अमेरिका की समान विचारधारा वाले अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ क्षेत्र में समर्थन और सहायता को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध को जाहिर करता है।
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जानिए क्या है मैकमोहन रेखा
आपको बता दें कि ब्रिटेन और तिब्बत के बीच सीमा निर्धारण के लिए साल 1913-1914 में 'शिमला सम्मेलन' हुआ था। इस दौरान मुख्य वार्ताकार सर हेनरी मैकमोहन थे। इसलिए इस रेखा को मैकमोहन रेखा कहा जाता है। शिमला समझौते के दौरान ब्रिटेन, चीन और तिब्बत, अलग-अलग पार्टी के तौर पर शामिल हुए थे। भारतीय साम्राज्य में तत्कालीन विदेश सचिव सर हेनरी मैकमहोन ने ब्रिटिश इंडिया और तिब्बत के बीच 890 किलोमीटर लंबी सीमा खींची। इसमें तवांग (अरुणाचल प्रदेश) को ब्रिटिश भारत का हिस्सा माना गया।
इस बात का चीन करता है विरोध
चीन 1914 के शिमला समझौते को मानने से इनकार करता है। चीन के अनुसार तिब्बत स्वायत्त राज्य नहीं था और उसके पास किसी भी प्रकार के समझौते करने का कोई अधिकार नहीं था। चीन के आधिकारिक मानचित्रों में मैकमोहन रेखा के दक्षिण में 56 हजार वर्ग मील के क्षेत्र को तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है। इस क्षेत्र को चीन में दक्षिणी तिब्बत के नाम से जाना जाता है। वहीं चीन का ये भी आरोप है कि मैकमहोन लाइन के बारे में उसको बताया ही नहीं गया था। उससे बस इनर और आउटर तिब्बत बनाने के प्रस्ताव पर बात की गई थी। उसे अंधेरे में रखकर तिब्बत के प्रतिनिधि लोनचेन शातरा और हेनरी मैकमहोन के बीच हुई गुप्त बातचीत की अंडरस्टैंडिंग पर मैकमहोन रेखा खींच दी गई।
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