अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चाउना मीन ने राज्य के श्रमिक वर्ग के कल्याण पर ध्यान देने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। यहां राजीव गांधी विश्वविद्यालय में इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनॉमिक्स के तहत 63वें श्रम आर्थिक सम्मेलन के समापन सत्र में मीन ने प्रतिभागियों से श्रम अर्थशास्त्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और व्यावहारिक समाधान खोजने का आह्वान किया, जिससे श्रमिकों को लाभ होगा। 

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इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर की स्थापना 1957 में पूर्व राष्ट्रपति वराहगिरी वेंकट गिरि द्वारा श्रम अर्थशास्त्र में अनुसंधान, शिक्षण और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने और श्रम और रोजगार से संबंधित नीतियों में योगदान के लिए की गई थी। अपनी स्थापना के बाद से समाज श्रम बाजारों और श्रम कल्याण नीतियों में अंतर्दृष्टि प्रदान करने में सहायक रहा है। मीन ने विशेषज्ञों द्वारा ज्ञान के आदान-प्रदान के उद्देश्य से एक समर्पित मंच की सुविधा प्रदान करने और भारत को आत्मनिर्भर बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करने के लिए कार्रवाई योग्य उपाय तैयार करने में इस तरह के वार्षिक सम्मेलनों की भूमिका को स्वीकार किया। 

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वर्तमान में लागू किए जा रहे श्रम सुधारों और नीतियों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि केंद्र हमारे आर्थिक विकास को बढ़ाने के साथ-साथ पूरे देश में मजदूरों की कामकाजी परिस्थितियों में सुधार लाने की दिशा में सही रास्ते पर है। उपमुख्यमंत्री ने बेरोजगारी के एक वैश्विक घटना बनने की भी बात की और उल्लेख किया कि राज्य सरकार अरुणाचल प्रदेश उद्यमिता विकास कार्यक्रम (APEDP) के तहत युवाओं के लिए आजीविका के अवसर पैदा करके इस मुद्दे को हल करने के लिए उचित कदम उठा रही है।