चकमा डेवलपमेंट फाउंडेशन ऑफ इंडिया (CDFI) ने अरुणाचल प्रदेश सरकार से राज्य में चकमाओं की नस्लीय प्रोफाइलिंग को रोकने का आग्रह किया, यह दावा करते हुए कि "राज्य में केवल चकमा आदिवासी समुदाय की जनगणना करना अवैध और असंवैधानिक है"।

CDFI ने चकमा आदिवासियों की नस्लीय प्रोफाइलिंग को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू (CM Pema Kandhu) और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) के हस्तक्षेप की भी मांग की।

नई दिल्ली स्थित CDFI ने अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चाउना मीन से अनुरोध किया है कि जो दीयुन में चकमा बहुल इलाकों का दौरा करेंगे, इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए। चकमा राइट्स एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (CRDO) के अनुसार, चकमा और हाजोंग लोगों को 1964-68 से चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (अब बांग्लादेश में) से भारत सरकार द्वारा लाया गया था।

इन्हें तत्कालीन नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) में पुनर्वासित किया गया था। जो बाद में अरुणाचल प्रदेश बना। CRDO के संस्थापक और प्रमुख अधिकार कार्यकर्ता सुहास चकमा ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश सरकार के अधिकारी चांगलांग जिले में केवल चकमाओं की जनगणना कर रहे हैं।