BJP के लोकसभा सांसद तापिर गाव ने अरुणाचल प्रदेश के लोगों को IPS की चयन प्रक्रिया के लिए लंबाई में ढील देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि अरुणाचल प्रदेश के उम्मीदवारों को लंबाई में वो छूट दी जानी चाहिए। जो दूसरी खास कम्युनिटीज को मिलती है। बता दें कि देश के पहाडी इलाके लोगों को सुरक्षा एंजेसी में भर्ती होने के लिए लंबाई में छूट मिलती है।

दरअसल, केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह अरुणाचल के सांसद गाव ने एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में गाव ने एक डॉ़क्टर के लिए लंबाई में छूट की मांग की है। इस डॉक्टर की लंबाई IPS अफसर बनने के लिए 2.5 सेमी कम हो गई थी। अरुणाचल प्रदेश के अपर सिंयांग जिले के ओजिंग दामेंग को सिविल सेवा परीक्षा में अनुसूचित जनजाति वर्ग में IPS अधिकारियों की प्रोविजल लिस्ट में दूसरा स्थान मिला था। लेकिन मेडिकल जांच में वो अनफिट (अयोग्य) पाए गए। । इसकी वजह ये रही  कि उनकी लंबाई 162.5 सेमी थी। जो कि IPS अपसर बनने के लिए 165 सेमी लंबाई जरूरी है। दामेंग की लंबाई सिर्फ 2.5 सेमी कम है।

गाव ने दावा किया है कि IPS अफसर बनने के लिए 165 सेमी की आवश्यक रखने से अरुणाचल प्रदेश के प्रतिभाशाली लोग कभी IPS अफसर नहीं बन पाएंगे। AIS एक्ट 1951 के नियमों का जिक्र करते हुए गाव ने कहा है कि पुरुषों के लिए लंबाई 165 सेमी और महिलाओं के लिए 150 सेमी रखी गई है। नियमानुसार अनुसूचित जाति से संबंधित लोगों को लंबाई में छूट दी गई है। इसके अलावा गोरखा, असमिया, कुमाऊंनी और नागालैंड जैसी पहाड़ी जातियों के लिए भी छूट दी गई है। इसमें पुरुषों के लिए 160 सेमी और महिलाओं के लिए 145 सेमी लंबाई निर्धारित की गई है।

गाव ने आगे पत्र में कहा है कि अरुणाचल प्रदेश 1972 में असम से अलग हुआ है। असम के आदिवासी लोगों को लंबाई में जब छूट मिलती है तो फिर अरुणाचल प्रदेश के लोगों को लंबाई में छूट क्यों नहीं मिलती। असम का कोई भी नागरिक असमिया होता है। लिहाजा असमियों में अरुणाचल प्रदेश के आदिवासियों को शामिल किया जाए। उन्होंने आगे कहा है कि कानून भी ऐसी जातियों को छूट दे रहा है जिनकी औसत लंबाई कम है। ऐसे में अरुणाचल प्रदेश के आदिवासी इस नियम में फिट होते हैं और उनको लंबाई में ढील दी जाए।