भारत और चीन देश की कई सालों से दुश्मनी है। हाल ही हालात देखें तो लद्दाख एक इलाके को लेकर और सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर दोनों देशों में युद्ध की फिर से तैयारी हो गई है। यह युद्ध कभी भी हो सकता है। इसी तरह से 1962 में भी भारत-चीन युद्ध हुआ था। जिसमें शहीद हुए सैनिकों के बलिदान और वीरता को याद करने के लिए सेना ने किबिथू के स्मारकों के केंद्र और अरुणाचल प्रदेश के वालोंग वॉर मेमोरियल में कुमाऊंनी सोल्जर की प्रतिमाएँ स्थापित की हैं।


लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता, जनरल ऑफिसर, स्पीयर कॉर्प्स, कुमाऊं और नागा रेजिमेंट्स के कर्नल और कुमाऊं स्काउट्स के कमांडिंग ने कुमाउनी सोल्जर की प्रतिमाओं का अनावरण किया है। बताया जा रहा है कि 1962 के युद्ध के दौरान वॉलोंग की लड़ाई के रूप में बेहतर रक्त युद्ध को देखा गया था। पीआरओ ने बताया कि लड़ाई को कई चुनौतियों के बावजूद भारतीय सेना के जवानों द्वारा दिखाए गए वीरता और अनूठे शौर्य के लिए याद किया जाता है। प्रो. हार्ट की घटना को 79 वर्षीय सूबेदार (मानद कप्तान) की उपस्थिति से यादगार बनाया गया था।

लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने मीडिया से बातचीत करते हुए इस आयोजन का महत्व बताया और कहा कि 6 कुमाऊं रेजिमेंट उन पांच इन्फैन्ट्री बटालियनों में से एक थी जिन्होंने उस लड़ाई के दौरान प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि ये प्रतिमाएं 6 कुमाऊं के बहादुरों की साहसीता का प्रतीक हैं, जिन्होंने विश्वासघाती इलाकों और शत्रुतापूर्ण परिस्थितियों में एक दुश्मन का सामना करते हुए मानव धीरज और सैनिक वीरता की सभी सीमाओं को पार कर दिया था।