भारत ने चीन के साफ संदेश दे दिया है कि अगर भारत से सटे तिब्बत के इलाकों में चीन गांव बसाकर साजिश रचेगा तो भारत भी खामोश नहीं बैठेगा। चीन की गांव बसाने वाली साजिश के बाद भारत ने तेजी से सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम शुरू कर दिया है। भारत ऐसा करके न सिर्फ चीन की विस्तारवादी नीति को कंट्रोल करना चाहता है बल्कि भारतीय हिस्से में घुसपैठ की कोशिश को भी हमेशा के लिए खत्म करना चाहता है। भारत-चीन सीमा से केवल 30 किमी। दूर बनने वाली नई आर्मी यूनिट की भनक मिलते ही चीन चौकन्ना हो गया है और इसका विरोध करना शुरू कर दिया है।

भारत ने 2020 में सीमा से सटे इलाकों में 61 नई सड़कों का निर्माण किया है, इनमें 17 डबल लेन हाईवे हैं। सामरिक महत्व के इन हाईवे और सड़कों की लंबाई 3,323 किमी। है जो नॉर्थ ईस्ट से लेकर उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर तक कवर करते हैं। संसद में पेश रिपोर्ट के मुताबिक बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने इनका 75 फीसदी काम पूरा कर लिया है। चीन के लिए टेंशन बढ़ाने वाली बात ये है कि इन सड़कों और हाईवे पर जेट विमानों की लैंडिंग भी कराई जा सकती है।

यानी अगर युद्ध के हालात बने तो दुश्मन को सबक सिखाने के लिए नए हाईवे का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। इन रास्तों में हथियारों का भंडारण, लैंडिंग लाइट, ईंधन और अग्निशमन उपकरण भी लगाए जा रहे हैं ताकि इनका बहुउद्देशीय इस्तेमाल किया जा सके।

कुछ दिन पहले भारत को धोखा देते हुए चीन के अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले में सड़क और रिहायशी बस्तियां बसाने की खबर आई थी हालांकि बाद में पता चला कि चीन ने 101 घरों का निर्माण ऊपरी सुबनसिरी जिले के करीब अपने हिस्से में किया है जो दक्षिण तिब्बत का हिस्सा है। बीजिंग का दावा है कि उसने नए गांव का निर्माण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत किया है लेकिन भारत अब इस इलाके से चीनी सेना का उन्मूलन करने के लिए तैयार है।

भारत अब चीन की विस्तारवादी नीति पर ऐसा कुठाराघात करने वाला है कि चीन नॉर्थ ईस्ट में बुरी नजर डालना भूल जाएगा। भारत की नई आर्मी चौकी से अब चीनी गांव में दहशत है और वहां लोग दिखने कम हो गए हैं।