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भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में प्रकृति का चमत्कार देखने को मिला है। यहां अरुणाचल प्रदेश के निचले सुबनसिरी जिले में एक लिथोफाइटिक पौधा मिला है, जिसे पुनर्जीवित जड़ी बूटी या संजीवनी के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (BSI), ईटानगर क्षेत्रीय केंद्र के शोधकर्ताओं ने हाल ही में पौधे की खोज की है।
इस पौधे का नाम- 'सेलागिनेला ब्रायोप्टेरिस' है। हापोली संभागीय वन अधिकारी (DFO) अभिनव कुमार ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि "प्रजाति लोअर सुबनसिरी जिले के पिस्ताना सर्कल में की नदी के पास पाई गई है,शोधकर्ताओं की टीम ने पिस्ताना सर्कल में प्लांट को टेरिडोफाइट्स (संवहनी पौधों) के सर्वेक्षण और संग्रह के दौरान पाया है "।
कुमार बीएसआई के ईटानगर क्षेत्रीय केंद्र के शोधकर्ता आशीष के सोनी और विनीत के रावंत के नेतृत्व में सर्वेक्षण टीम का हिस्सा थे। इन्होंने बताया कि इस साल की शुरुआत में लोअर सुबनसिरी जिले और टेल वन्यजीव अभयारण्य के जंगल में खोज की गई है।
सर्वेक्षण के दौरान, सोनी को सेलाजिनेला की एक स्वस्थ आबादी मिली और पौधों की पहचान आर डी दीक्षित की पुस्तक 'सेलागिनेलासी ऑफ इंडिया' के आधार पर की गई। शुष्क मौसम के दौरान पौधे का शरीर एक गेंद जैसी संरचना बनाने के लिए कुंडलित होता है और जैसे ही वायुमंडलीय आर्द्रता बहाल हो जाती है, पौधे उखड़ जाते हैं और हरे हो जाते हैं।
आगे के शोध और पहचान ने इसे 'सेलाजिनेला ब्रायोप्टेरिस' होने की पुष्टि की, जिसे राज्य के फ़र्न सहयोगियों में पहली बार दर्ज किया गया है। रिपोर्टों के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश में सेलाजिनेला की लगभग 23 और प्रजातियों की सूचना मिली है। हालांकि, पहाड़ी राज्य में 'सेलाजिनेला ब्रायोप्टेरिस' की खोज पहली बार हुई है।
अपने औषधीय गुणों के लिए लोकप्रिय, 'सेलागिनेला ब्रायोप्टेरिस' भी उन पौधों में से एक है जिसे संजीवनी के उम्मीदवार के रूप में माना जाता है जिसका उल्लेख रामायण में भी मिलता है।
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