पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव के बीच उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू (Vice President M. Venkaiah Naidu) के अरुणाचल प्रदेश (Vice President M. Venkaiah Naidu) के दौरे को लेकर बुधवार को भारत और चीन (India and china) के बीच जमकर तकरार हुई। चीन ने इस दौरे का कड़ा विरोध किया, जिसे नई दिल्ली (new delhi) ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया।

उपराष्ट्रपति नायडू (Venkaiah Naidu) पिछले हफ्ते पूर्वोत्तर (north east) भारत के दौरे के दौरान 9 अक्टूबर को अरुणाचल (Arunachal pradesh) पहुंचे थे। बुधवार सुबह इस दौरे पर तिलमिलाते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत को सीमा विवादों को और जटिल बनाने वाले कदमों को रोकने की चेतावनी दी।

इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम ऐसी टिप्पणियों को खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चीनी विदेश मंत्रालय के बयान को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अखंड और अभिन्न हिस्सा है।

बागची ने कहा, भारतीय नेता अरुणाचल प्रदेश का उसी तरह नियमित रूप से दौरा करते हैं, जैसे वे अन्य भारतीय राज्यों का करते हैं। भारतीय नेताओं के भारतीय राज्य का दौरा करने पर आपत्ति जताना भारतीय नागरिकों के तर्क और समझ पर खरा नहीं उतरता है।

विदेश मंत्रालय ने चीन की उस चेतावनी को भी बेवजह बताया, जिसमें लद्दाख में मौजूदा तनाव के बीच उपराष्ट्रपति के अरुणाचल दौरे से सीमा विवादों के जटिल होने की बात कही गई।

बागची ने कहा, हम पहले ही कह चुके हैं कि भारत-चीन सीमा क्षेत्र पर वेस्टर्न सेक्टर में LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर मौजूदा हालात के लिए चीनी पक्ष जिम्मेदार है, जिसने द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन करते हुए यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास किया।

उन्होंने कहा, हमें आशा है कि चीन असंबंधित मुद्दों को जोड़ने की कोशिश करने के बजाय द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करते हुए पूर्वी लद्दाख में LAC पर बचे हुए मुद्दों के जल्द समाधान की दिशा में काम करेगा।

इससे पहले, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि चीन सरकार ने भारत की तरफ से एकतरफा और अवैध तरीके से कथित अरुणाचल प्रदेश के गठन को कभी मान्यता नहीं दी है। हम भारत के उपराष्ट्रपति की संबंधित क्षेत्र में हालिया यात्रा का कड़ा विरोध करते हैं।

लिजियान ने कहा कि हम नई दिल्ली से चीन की प्रमुख चिंताओं का सम्मान करने, सीमा विवादों को बढ़ाने व जटिल बनाने वाले कदम उठाने बंद करने और आपसी विश्वास व द्विपक्षीय संबंधों को कमजोर करने से बचने की अपील करते हैं। बता दें कि चीन अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत का झांगनान क्षेत्र मानते हुए इस पर अपना दावा ठोकता है।

पिछले हफ्ते भी शुक्रवार को चीनी सेना की टुकड़ी ने अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताते हुए तवांग के करीब गश्त लगाने की कोशिश की थी। कुछ घंटों बाद यांग्से के करीब आमना-सामना होने पर भारतीय सेना ने कुछ चीनी सैनिकों को बंदी बना लिया था। बाद में सैन्य वार्ता के बाद उन्हें छोड़ा गया था।