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नई दिल्ली। सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) के असामयिक निधन के बाद पहली बार राजधानी दिल्ली में सैन्य कमांडरों की बैठक (Military commanders meeting in the capital Delhi) आयोजित की गई है। बैठक का एजेंडा मुख्य रूप से देश की सीमाओं की सुरक्षा से संबंधित है। चीन पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) से लेकर अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) तक एलएसी (LAC) के उसपार तरह-तरह की सैन्य गतिविधियों को अंजाम देने में लगा हुआ है। उसके साथ ही पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। क्योंकि, यह बैठक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की गैर-मौजूदगी में हो रही है, इसलिए कई नजरिए से इसे काफी अहम समझा जा रहा है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हुए निधन के बाद इंडियन आर्मी के सभी सातों कमांडर पहली बार इस हफ्ते राजधानी दिल्ली में मिलने वाले हैं। 13 लाख सैनिकों वाले भारतीय सेना के ये कमांडर 23 से 24 दिसंबर के बीच राजधानी दिल्ली में चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर मौजूदा परिस्थितियों को लेकर सुरक्षा संबंधी चर्चा करने वाले हैं। यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये ऐसे वक्त में हो रही है, जब भारतीय सेना ने अपने सर्वोच्च कमांडर जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 12 अन्य सैनिकों और अफसरों (भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना) को हेलीकॉप्टर हादसे में खो दिया है। 8 दिसंबर को तमिलनाडू के नीलगिरी जिले के कुन्नूर में यह भयानक हेलीकॉप्टर हादसा हुआ था। इसकी जांच के लिए भारतीय वायुसेना ने एक हाई लेवल जांच गठित की हुई है, जिसकी रिपोर्ट जल्द आने की संभावना है।
सरकारी सूत्रों ने न्यूज एजेंसी से कहा है, 'सभी आर्मी कमांडर दिल्ली में 23 और 24 दिसंबर को बैठक करेंगे और चीन और पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा हालातों को लेकर चर्चा करेंगे।' सभी सैन्य कमांडरों को खासकर चीन की सीमा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में कड़ाके की सर्दी के बावजूद बड़ी तादाद में सैनिकों के जमावड़े की जानकारी दी जाएगी। बता दें कि अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक चीन के साथ लगने वाली सीमा की रक्षा की जिम्मेदारी पूर्वी, मध्य और उत्तरी कमांड के पास है। चीन से सटी सीमा की सुरक्षा जिम्मेदारी का सबसे बड़ा दायरा पूर्वी कमांड के पास है।
इस बीच सीडीएस रावत के निधन के बाद सरकार उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति को लेकर काम कर रही है और रक्षा मंत्रालय इसको लेकर पहले ही प्रक्रिया शुरू कर चुका है। आर्मी कमांडरों के बीच सेना में जारी रिफॉर्म को लेकर भी चर्चा होने की संभावना है और साथ ही बाकी दोनों सेनाओं के साथ एकजुटता बढ़ाने को लेकर भी बातचीत हो सकती है।
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी की गतिविधियों की वजह से पिछले साल अप्रैल-मई से पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर जो गतिरोध शुरू हुआ था, वह कई बिंदुओं पर अभी तक बरकरार है। हालांकि, भारत ने इलाके में हमेशा शांति बनाए रखने की पहल की है, लेकिन चीन के किसी भी नापाक मंसूबे को कुचलने के लिए अपनी सैन्य तैयारी भी पूरी कर रखी है। इसकी वजह से वास्तविक नियंत्रण रेखा की दोनों ओर इस कड़ाके की ठंड में भी न सिर्फ बड़ी संख्या में सैनिक मौजूद हैं, बल्कि भारी मात्रा में अत्याधुनिक हथियार भी तैनात किए गए हैं।
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